सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को उच्चतर आप्रेशनल स्वायतता देने और जवाबदेही को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 90 के दशक के प्रारम्भ में सझौता-ज्ञापन की अवधारणा को लागू किया था । 1991 की नई औद्योगिक-नीति ने प्रत्येक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के लिये अपने प्रशासकीय मंत्रालय के साथ समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य कर दिया । इन वर्षों के दौरान एम ओ यू को पर्याप्त महत्व मिला है क्योंकि एक तो यह कम्पनी की ओवरआल कम्पोज़िट रेटिंग कुल समन्वित मूल्यांकन को दर्शाता है और इसके साथ ही एम ओ यू के माध्यम से आंशिक रुप से कम्पनी के मख्य कार्यकारी अधिकारी की परफारमैन्स भी देखी जाती है । एम ओ यू के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की परफारमैन्स की निगरानी की वर्तमान प्रणाली को और सुदृढ़ करना भारत सरकार की वर्तमान नीति का महत्वपूर्ण अंग है ।
एन एफ एल ने 1991-92 के वर्ष से एम ओ यू पर हस्ताक्षर करने आरम्भ किये थे और अधिकांश वर्षों में इसकी परफारमैन्स को उत्कृष्ट आंका गया है । कम्पनी ने अभी वर्ष 2020-21 के लिए उर्वरक विभाग के साथ एम ओ यू पर हस्ताक्षर किये।
1991-92 से 2018-19 तक एम ओ यू के अंतर्गत एन एफ एल का मूल्यांकन निम्न प्रकार रहा
YEAR |
RATING |
2019-20 | मध्यम (अनंतिम) |
2018-19 | बहुत अच्छा |
2017-18 |
बहुत अच्छा |
2016-17 |
अच्छा |
2015-16 |
बहुत अच्छा |
2014-15 |
बहुत अच्छा |
2013-14 |
बहुत अच्छा |
2012-13 |
अच्छा |
2011-12 |
उत्कृष्ट |
2010-11 |
उत्कृष्ट |
2009-10 |
उत्कृष्ट |
2008-09 |
उत्कृष्ट |
2007-08 |
उत्कृष्ट |
2006-07 |
उत्कृष्ट |
2005-06 |
उत्कृष्ट |
2004-05 |
उत्कृष्ट |
2003-04 |
उत्कृष्ट |
2002-03 |
उत्कृष्ट |
2001-02 |
उत्कृष्ट |
2000-01 |
उत्कृष्ट |
1999-00 |
बहुत अच्छा |
1998-99 |
अच्छा |
1997-98 |
बहुत अच्छा |
1996-97 |
ठीक |
1995-96 |
उत्कृष्ट |
1994-95 |
उत्कृष्ट |
1993-94 |
उत्कृष्ट |
1992-93 |
उत्कृष्ट |
1991-92 |
उत्कृष्ट |