नेशनल फर्टिलाइज़र्स लिमिटेड,
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पानीपत, जिले का प्रधान कार्यालय है, जो दिल्ली से 90 कि.मी. की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 पर स्थित है। यह भारत के सबसे पुराने और प्राचीन शहरों में से एक है। पानीपत का इतिहास "महाभारत" कालीन है। इसका पुराना नाम 'पानीप्रस्थ' था। अतीत में, पानीपत ने तीन ऐतिहासिक लड़ाईयां देखी हैं, जिन्होंने भारत के इतिहास को बदल दिया। पहली लड़ाई (21 अप्रैल, 1526) काबुल के तत्कालीन शासक, मुगल सरदार बाबर और दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच हुई थी। इसमें इब्राहिम की मौत हो गई और उसकी सेना पराजित हो गई। इससे भारत में मुगल साम्राज्य की शुरुआत हुई। दूसरी लड़ाई (20 जनवरी, 1556) युवा मुगल बादशाह अकबर के संरक्षक बैरम खान की हेमू पर जीत के साथ समाप्त हुई। तीसरी लड़ाई (14 जनवरी, 1761) में, भारत के मुगल शासकों पर, मराठों द्वारा किये गये प्रयास की समाप्ति के साथ हुई। भाओ साहिब के नेतृत्व में मराठा सेना को, अफगान सरदार अहमद शाह के द्वारा फँसाकर और छल के द्वारा हराया गया।
हरियाणा का पानीपत जिला 1,268 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। यह हथकरघा, ऊनी कालीन, कंबल, खेस और दरियों के लिए प्रसिद्ध है। जिले में 2 उप-डिवीजन, 3 तहसील और 5 ब्लॉक हैं, जिनकी कुल आबादी 12,02,811 (2011 की जनगणना के अनुसार) है जिसमें से 32% आबादी शहरी है। पानीपत ने, नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड संयंत्र, सरकार के स्वामित्व वाले थर्मल पावर संयंत्र, सहकारी चीनी मिल और रूपये 4000 करोड़ की लागत से इण्डियन ऑयल कार्पोरेशन की रिफाइनरी स्थापित होने से देश के औद्योगिक मानचित्र पर अपना नाम बना लिया है। 12000 से अधिक छोटे पैमाने की इकाइयों और 49 मध्यम एवं बड़े पैमाने की औद्योगिक इकाइयों के साथ, शहर देश के औद्योगिक शहरों के बीच में अपना एक विशेष स्थान रखता है।
एन.एफ.एल. की पानीपत इकाई को 1 सितंबर, 1979 को प्रारम्भ किया गया था, जिसे एलएसएचएस/ईंधन तेल के फीड स्टॉक की गैसीकरण तकनीक के आधार पर 5,11,500 मीट्रिक टन यूरिया की वार्षिक स्थापित क्षमता के साथ लगाया गया था। तत्पश्चात, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सबसिडी भार और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए, एन.एफ.एल. ने पानीपत इकाई को एलएसएचएस/एफओ से एलेएसटीके आधार पर प्राकृतिक गैस फीडस्टॉक में बदलने के लिए इसका पुर्नोत्थान किया तथा मार्च, 2013 के दौरान गैस पर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया गया।
पानीपत इकाई की मुख्य विशेषताएं
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संस्थापित क्षमता | 511,500 एमटीपीए |
पूंजी निवेश |
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उत्पादन की प्रारंभिक शुरूआत | 1 सितंबर, 1979 |
पुर्नोत्थान के बाद गैस पर उत्पादन की शुरूआत |
28 मार्च, 2013 |
प्रक्रिया
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अमोनिया: |
एचटीएएस भाप मीथेन सुधार (SMR) प्रौद्योगिकी |
यूरिया: | मित्सुई टोयटसु कुल रीसायकल सी में सुधार |
कच्चा माल : | कोयला, एलएनजी/आरएलएनजी, बिजली, पानी |
कैप्टिव पावर प्लांट : | 2 x15 मेगावाट |
अन्य उत्पाद बेंटोनाइट सल्फर संस्थापित क्षमता 25000 एमटीपीए |